बाहर

कई लोग तो इतने डर गए कि उन्हें ज़बरन भी बाहर नहीं निकाला जा सका. कई लोग इस कदर सदमे में थे कि दूसरे मुसाफ़िरों ने जब उन्हें रास्ता दिखाना चाहा तो वे हिल ही नहीं पाए, कोई कार्रवाई कर ही नहीं पाए, तब भी नहीं जब उन पर चीखा-चिल्लाया गया.”