आख़िर हुआ क्या था?
एक व्यक्ति जो इसका जवाब दे सकते हैं, वो हैं जॉन लीच.
वे पोर्ट्समाउथ विश्वविद्यालय में विकट स्थितियों में लोगों के व्यवहार पर शोध कर रहे हैं.
उन्होंने दुनिया भर में कई दशकों में हुई दर्जन भर त्रासदियों का अध्ययन किया है. वे ऐसी ही एक दुर्घटना 1987 में 18 नवंबर को लंदन के किंग्ज़ क्रॉस मेट्रो स्टेशन पर आग लगने के समय मौजूद थे.
इस आग में 31 लोग मारे गए थे. लीच ने पाया कि जानलेवा स्थितियों में लगभग 75 फ़ीसदी लोग न तो ठीक से सोच पाते हैं और न ही जान बचाने का कोई उपाय ढूंढते हैं.
सिर्फ़ 15 प्रतिशत लोग इतने शांत रहते हैं कि वे ठीक से सोच सकें ताकि बचने का उपाय खोजा जा सके. दस फ़ीसदी लोग तो ऐसे संकट में बौख़ला कर इतने ख़तरनाक हो जाते हैं कि वे अन्य लोगों के बच निकलने की संभावना कम कर देते हैं.