विधायकों पर लगी रहती है 'तीसरी आंख'
हरियाणा में तैनात एक सीनियर अधिकारी का कहना है कि ऐसे मामले आते रहते हैं। बड़ी सीधी सी बात है कि वह पार्टी अपने विधायकों को उसी राज्य में भेजेगी, जहां पर उसे सौ फीसदी यह भरोसा रहता है कि वहां उनके विधायक पूरी तरह महफूज रहेंगे। इस मुहिम में संबंधित राज्य के खुफिया महकमे और पुलिस की सबसे ज्यादा भागदौड़ रहती है।
जब यह खबर आती है कि फलां राज्य से इतने विधायक आ रहे हैं तो मुख्यमंत्री यह तय करते हैं कि उन्हें कहां ठहराया जाएगा। विधायकों के होटल में आने से पहले खुफिया महकमा और उच्च स्तर के अफसर, जिसमें मुख्यमंत्री कार्यालय सीधे तौर पर शामिल रहता है, वे यह बताते हैं कि कौन सा विधायक किस कमरे में ठहरेगा।
क्या एक कमरे में दो विधायकों को ठहराया जाए, विधायक के कमरे में फोन सुविधा देनी है या नहीं, मोबाइल फोन को जैमर के जरिए निष्क्रिय बनाना है या उन्हें विधायकों से लेकर जमा कर देना है, किसी के पास कोई खुफिया कैमरा तो नहीं है, होटल के चप्पे-चप्पे पर कितनी फोर्स तैनात रहेगी, ये सब कार्रवाई बहुत गोपनीय तरीके से पूरी होती है।
होटल के स्टाफ में कौन-कौन रहेगा, यह भी पुलिस विभाग तय करता है। होटल के गेट पर स्टाफ की चेकिंग की जाती है। किसी भी व्यक्ति को विधायकों से मिलने नहीं दिया जाता। संबंधित जिले का सीएमओ या अन्य कोई डॉक्टर, जिसे सीएम कार्यालय से हरी झंडी मिली हो, उससे ही विधायकों के स्वास्थ्य की जांच कराई जाती है।
जब यह खबर आती है कि फलां राज्य से इतने विधायक आ रहे हैं तो मुख्यमंत्री यह तय करते हैं कि उन्हें कहां ठहराया जाएगा। विधायकों के होटल में आने से पहले खुफिया महकमा और उच्च स्तर के अफसर, जिसमें मुख्यमंत्री कार्यालय सीधे तौर पर शामिल रहता है, वे यह बताते हैं कि कौन सा विधायक किस कमरे में ठहरेगा।
क्या एक कमरे में दो विधायकों को ठहराया जाए, विधायक के कमरे में फोन सुविधा देनी है या नहीं, मोबाइल फोन को जैमर के जरिए निष्क्रिय बनाना है या उन्हें विधायकों से लेकर जमा कर देना है, किसी के पास कोई खुफिया कैमरा तो नहीं है, होटल के चप्पे-चप्पे पर कितनी फोर्स तैनात रहेगी, ये सब कार्रवाई बहुत गोपनीय तरीके से पूरी होती है।
होटल के स्टाफ में कौन-कौन रहेगा, यह भी पुलिस विभाग तय करता है। होटल के गेट पर स्टाफ की चेकिंग की जाती है। किसी भी व्यक्ति को विधायकों से मिलने नहीं दिया जाता। संबंधित जिले का सीएमओ या अन्य कोई डॉक्टर, जिसे सीएम कार्यालय से हरी झंडी मिली हो, उससे ही विधायकों के स्वास्थ्य की जांच कराई जाती है।