त्रासदी घटने की गति,

त्रासदी घटने की गति, समुद्री तूफ़ान, जहाज़ डूबने के आधे घंटे बाद आपात स्थिति की घोषणा और बचाव दल का प्रभावित लोगों तक पंहुचने का समय...इन सभी बातों को देखते हुए भी राहत विशेषज्ञ इतने अधिक लोगों के मरने से दंग रह गए. ऐसा लगता है कि कई लोग सिर्फ़ इसलिए डूब गए कि उन्होंने बचने की कोई कोशिश ही नहीं की.


एक अधिकारिक रिपोर्ट में कहा गया, “ऐसा लगता है कि भयभीत होने के कारण कई लोग सोचने-समझने या ज़रूरी कार्रवाई करने की क्षमता ही खो बैठे.